The smart Trick of Shiv chaisa That Nobody is Discussing
The smart Trick of Shiv chaisa That Nobody is Discussing
Blog Article
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
शिव पूजा में सफेद चंदन, चावल, कलावा, धूप-दीप, पुष्प, फूल माला और शुद्ध मिश्री को प्रसाद के लिए रखें।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
On Trayodashi (thirteenth day with the dim and dazzling fortnights) a single really should invite a pandit and devotely make choices to Lord Shiva. People who rapid and pray to Lord Shiva on Trayodashi Shiv chaisa are always wholesome and prosperous.
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥